Aatankwaad ke jhootey muqaddmon mein phasaaye gaye Muslim nau jawanon ki daastaan
बेगुनाह क़ैदी: आतंकवाद के झूठे मुक़द्दमों में फंसाये गये मुस्लिम नौजवानों की दास्तान
अब्दुल वाहिद शैख़
These are stories of innocents accused of terrorism in Mumbai Train Blasts 7/11 July 2015.
सरकारी आतंकवाद को उजागर करनेवाली इस पुस्तक में आपको ‘आतंकवाद’ के नाम पर वर्षों से खेले जानेवाले गन्दे खेल की विस्तृत जानकारी, आतंकवाद के हवाले से सरकार और उसकी एजेंसियों का घिनावना चेहरा, पुलिस, ए.टी.एस. और इंटेलिजेंस एजेंसियों की कार्य-प्रणाली, टार्चर, क़ानूनी दाँव-पेंच, अदालतों के रहस्य जानने के साथ-साथ आतंकवाद के केसों से निबटने का संबल मिलेगा। इस किताब के द्वारा आपको बम ब्लास्ट केसों, पुलिस और मीडिया के दावों की वास्तविकता भी मालूम होगी।
पुस्तक का लेखक वर्षों पुलिस और जाँच एजेंसियों के हथकंडों तथा टार्चर का स्वयं शिकार रह चुका है। वह यहाँ अपनी और दूसरे उत्पीड़ित क़ैदियों की आप बीती बयान करने के साथ पुलिस, एजेंसियों और जेल कर्मचारियों के हथकंडों का भी पर्दाफ़ाश कर रहा है।
यह पुस्तक जहाँ आतंकवाद के एक चर्चित केस से बाइज़्ज़त बरी होनेवाले व्यक्ति के संकल्प की अभिव्यक्ति है, वहीं वह निर्दोषों को पूर्वनियोजन की विस्तृत जानकारी भी देती है कि पहली बात तो यह कि जहाँ तक सम्भव हो इस गन्दे खेल की दलदल में न फंसें और अगर फंस ही जाएँ तो स्वयं को इन वर्दीधारी दानवों के चंगुल से कैसे बचाएँ।
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