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रामजन्मभूमि बनाम बाबरी मस्जिद: मिथक एवं तथ् (Hindi)

अंग्रेज़ों ने फूट डालो और राज करो की रणनीति के तहत ऐसे विकृत इतिहास को परोसा, जिससे यहाँ के लोग मिल-जुल कर न रहने पायें। वे यहाँ से अपना आसन लेकर चले गये, परन्तु अपने गुर्गों को यहीं छोड़ गये। उनके गुर्गे आज भी अपने उस्ताद की नीतियों का अनुसरण करते हुए नया विकृत इतिहास रच रहे हैं, जिसका तथ्यों से कोई ताल्‍लुक़ नहीं है। यह विकृत एवं मनगढ़ंत इतिहास लोगों को भ्रम की स्थिति में छोड़ने में कामयाब रहा है। यह इतिहास यदि रचा नहीं गया होता तो शायद महात्मा गाँधी की हत्या नहीं होती, बाबरी मस्जिद नहीं तोड़ी जाती, गोधरा काण्ड के पश्‍चात गुजरात में मुस्लिम-संहार नहीं होता। इसके अलावा भी भारत में तमाम दंगे हुए जिसमें मानवता को भारी क्षति पहुँची है, उससे बचा जा सकता था। हिन्दू धर्म को ख़तरा हिन्दू, मुस्लिम, क्रिश्‍चियन, बौद्ध या अन्य किसी धर्म, मज़हब से नहीं है। इसे ख़तरा सिर्फ़ हिन्दू धर्म के साम्प्रदायिक गिरोहों से है। ये गिरोह धर्मान्ध हैं। धर्मान्धता अपने ही धर्म की अच्‍छाइयों को समझने नहीं देती। जो आस्था दूसरे मज़हबों के प्रति नफ़रत पैदा करे, जिससे देश की एकता और अखण्डता को ख़तरा हो, जो इन्सानियत पर कुठाराघात करे, वह आस्था न होकर आतंकवाद है, उत्पीड़न है, हैवानियत है। साम्प्रदायिक ताक़तें आस्था के नाम पर लोगों को हैवानियत की ओर ढकेलने को उतावली हैं। इस पुस्तिका का उद्‌देश्य है इतिहास के सही तथ्यों को समाज के समक्ष रखकर साम्प्रदायिक ताक़तों के कारनामों का पर्दाफ़ाश करना, जिससे देश में प्रेम, मुहब्बत, भाईचारा, समता, ममता, बन्धुता और एकता को बढ़ावा मिल सके।

95.00

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Ram Janmabhoomi banaam Babri Masjid – Mithak ewam tathye

Weight90 g
Dimensions8.5 × 5.5 × 0.2 in
Binding

Paperback

Edition

First

ISBN-10

8172210469

ISBN-13

9788172210465

Language

Hindi

Pages

61

Publish Year

2010

Author

Yugal Kishore Sharan Shastri

Publisher

Pharos Media & Publishing Pvt Ltd

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