प्रस्तावना : डॉ. डी.आर. गोयल / प्रथम संस्करण की भूमिका / मिथक–एक: सावरकर महान स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने ब्रिटिश शासकों से कभी सहयोग नहीं किया / मिथक–दो : सावरकर का अधिकांश जीवन सेलुलर जेल में बीता मिथक–तीन सावरकर की माफ़ी की अर्ज़ियाँ रिहाई पाने की एक चाल थी, ताकि वे मातृभूमि की स्वाधीनता के लिए सक्रियता से काम कर सकें / मिथक–चार: सावरकर मुस्लिम लीग और उसकी सांप्रदायिक नीति के ख़िलाफ़ दीवार बनकर खड़े रहे / मिथक–पांच: सावरकर तर्कवादी, वैज्ञानिक सोच के पक्षधर थे और छुआछूत के ख़िलाफ़ उन्होंने संघर्ष किया / मिथक–छः: गांधी हत्याकांड में सावरकर के ख़िलाफ़ आरोप कभी सिद्ध नहीं हुए / मिथक–सात : सावरकर का हिंदुत्व भारतीय राष्ट्रवाद को वैज्ञानिक आधार प्रदान करता है / तस्वीरें
शम्सुल इस्लाम दिल्ली विश्वविद्यालय में राजनीति शास्त्र के अध्यापक रहे हैं और जन नाट्यकर्मी हैं। शम्सुल इस्लाम ने एक लेखक, पत्रकार और स्तम्भकार के तौर पर भारतीय उपमहाद्वीप में धार्मिक कट्टरता, अमानवीकरण, साम्राज्यवादी मंसूबों, महिलाओं और दलितों के दमन के ख़िलाफ़ हिन्दी, उर्दू और अंग्रेज़ी में लगातार लिखा है। वे राष्ट्रवाद के उदय और उसके विकास पर मौलिक शोध कार्यों के लिए दुनिया भर में जाने जाते हैं।